
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सीमा पार से हो रही गतिविधियों और हमलों के जवाब में भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। इस संदर्भ में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) और इटली के विदेश मंत्रियों से बातचीत की है, जिसमें उन्होंने भारत के रुख को मजबूती से रखा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की अपेक्षा जताई।
Table of Contents
पाकिस्तान की ओर से उकसावे की कार्रवाई
हाल के दिनों में पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद और एलओसी (Line of Control) पर संघर्षविराम उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। इन हमलों में भारतीय सेना के जवानों को निशाना बनाए जाने की खबरें आई हैं। साथ ही, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से भारत के अंदर आतंकी घुसपैठ की कोशिशें भी तेज़ हो गई हैं। इन घटनाओं ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
जयशंकर की कूटनीतिक पहल
इस बढ़ते तनाव के बीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कूटनीतिक मोर्चे पर सक्रियता दिखाई है। उन्होंने अमेरिका के विदेश मंत्री, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों और इटली के विदेश मंत्री से बातचीत की। इस संवाद का उद्देश्य भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्पष्ट करना और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सहयोग प्राप्त करना रहा।
जयशंकर ने इस दौरान यह भी कहा कि भारत किसी भी प्रकार की आक्रामकता या आतंकी हमले का करारा जवाब देगा। उनका यह बयान भारत की कड़ी नीति को दर्शाता है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अमेरिका और यूरोपीय देशों की भूमिका
अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देश भारत और पाकिस्तान के बीच की स्थिति को लेकर सजग रहते हैं। पाकिस्तान पर आतंकवाद के समर्थन को लेकर पहले भी अमेरिका और EU ने कई बार चिंता जताई है। ऐसे में भारत की ओर से इन देशों को जानकारी देना और समर्थन प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम माना जा रहा है।
यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने पहले भी कहा है कि पाकिस्तान को अपनी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्कों पर कार्रवाई करनी चाहिए। भारत की ओर से इस बात को दोहराया गया कि सीमा पार से हो रहे हमलों और आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण करना पाकिस्तान की जिम्मेदारी है।
भारत का कड़ा रुख और वैश्विक समर्थन की आवश्यकता
जयशंकर की बातचीत का उद्देश्य यह भी रहा कि भारत की सुरक्षा चिंताओं को वैश्विक स्तर पर उचित समर्थन मिले और पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डाला जा सके। यह पहल संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भी असर डाल सकती है, जहां भारत लगातार पाकिस्तान को आतंकवाद के संरक्षक के रूप में प्रस्तुत करता आया है।
भारत का यह रुख साफ है कि वह शांति का पक्षधर है, लेकिन सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। जयशंकर के शब्दों में, “हर हमले का माकूल जवाब दिया जाएगा,” यह दर्शाता है कि भारत अब रक्षात्मक की बजाय सक्रिय नीति अपना रहा है।
राजनयिक संतुलन की चुनौती

जहां भारत कूटनीतिक स्तर पर समर्थन जुटा रहा है, वहीं यह भी एक चुनौती है कि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे। चीन, रूस और इस्लामी देशों की भूमिका भी इस क्षेत्रीय संतुलन में महत्वपूर्ण है। भारत की विदेश नीति अब बहुपक्षीय संवाद और साझेदारी की दिशा में सक्रिय हो चुकी है।
निष्कर्ष
जयशंकर की अमेरिका, EU और इटली से बातचीत भारत की स्पष्ट और मुखर कूटनीति का संकेत है। यह प्रयास न केवल भारत की सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की दिशा में है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब वैश्विक मंचों पर अपने हितों के लिए खुलकर और सशक्त तरीके से बात कर रहा है। पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश मिल चुका है कि भारत किसी भी प्रकार की आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगा और जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है।
भारत की यह नीति “कूटनीति और शक्ति” के संतुलन पर आधारित है, जहां शांति की पहल के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता पर है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति में भारत के साथ कितनी मजबूती से खड़ा होता है और पाकिस्तान पर कितना प्रभाव डालता है।
ऑपरेशन सिंदूर’ ट्रेंड में, लेकिन है क्या इसकी कोई सच्चाई? 2025